Indian Exports 

• भारत को डिफेन्स एक्सपोर्ट मे तेजी से बढ़ाते देख अमेरिका रूस और चाइना जैसे अन्य देश भी हैरान है चलिए पूरी बात समझते है क्या है कैसे हुवा ?

अब डिफेंस एक्सपोर्ट मार्केट का जो डटा निकल कर आया है उसे देखकर डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कंट्रीज जर्मनी रूस और फ्रांस यहां तक कि अमेरिका भी सोचने पर मजबूर हो चला है कि जो भारत दो साल पहले डिफेंस इक्विपमेंट के मामले में दूसरे देशों पर डिपेंडेंट था वही भारत इतनी तेजी के साथ डिफेंस एक्सपोर्ट के इतने बड़े मार्केट को कैसे कब्जा कर सकता है यही नहीं इसके अलावा हाल ही में जो दक्षिण अमेरिका के एक देश गुयाना की तरफ से भारत की एचएएल यानी कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक लिमिटेड को डोर नियर एयरक्राफ्ट बनाने का ऑर्डर रिसीव हुआ था

 

 

उसमें से दो एयरक्राफ्ट को एक महीने के भीतर मैन्युफैक्चर करके भारत की तरफ से डिलीवर किया जा चुका है जहां भारत की इसी सफलता को देख यूरोपियन कंट्रीज भारत की ओर अपने हाथ को तेजी से बढ़ा रहे हैं फिलहाल ग्लोबल मार्केट में डिफेंस एक्सपोर्ट का जो डाटा निकलकर सामने आया है उसकी ग्रोथ को देख जर्मनी रूस फ्रांस और अमेरिका भी सोचने पर मजबूर हो चले हैं आखिर पूरी अपडेट क्या है समझते हैं लेकिन आगे बढ़ने से पहले भारत ने गुयाना को एक महीने के अंदर डोर नियर एयरक्राफ्ट बनाकर सक्सेसफुली डिलीवर कर दिया है

भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी की वजह से जिस तरह से पहचान बनाया है उससे भारत को डिफेंस इक्विपमेंट मिसाइल्स और खतरनाक हथियार बनाने का कांट्रैक्ट दुनिया के कई देशों से रिसीव हो रहा है जिससे भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट में तेजी के साथ बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है और हाल ही में एक खबर निकल कर आई कि भारत को जो गुयाना की तरफ से डोर नियर एयरक्राफ्ट बनाने का कांट्रैक्ट मिला था उसे एक महीने के भीतर भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाकर गुयाना को डिलीवर भी कर दिए हैं

 

 

 

जिसमें भारत को लगभग 23 मिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ है जो कि गुयाना ने एक्सपोर्ट एंड इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेकर हिंदुस्तान एरोनोट लिमिटेड को दिए हैं और कमाल की बात यह है कि डोनियर एयरक्राफ्ट की सक्सेसफुली डिलीवरी होने के कारण गुयाना और भारत के बीच एक और नई पार्टनरशिप भी शुरू हो चुकी है और गुयाना ने समयानुसार डोर नियर एयरक्राफ्ट को डिलीवर करने के कारण इंडियन एयरफोर्स का वेलकम भी किया है क्योंकि यह कोई छोटे-मोटे एयरक्राफ्ट नहीं है बल्कि इसे भारत ने इंडीजीनस टेक्नोलॉजी पर डिजाइन और डेवलप किया है

जिसका इस्तेमाल इस समय इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स नए-नए ऑपरेशन के लिए करते हैं इनकी पलट कैपेसिटी ज्यादा होने के कारण इनके माध्यम से आर्म्ड व्हीकल और छोटे-मोटे हथियारों को एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से ले जाया जा सकता है हालांकि इस समय भारत में इसका ज्यादा इस्तेमाल रेस्क्यू मिशन के लिए इंडियन नेवी करती हैं लेकिन भारत के द्वारा डेवलप किया गया यह डोर नियर एयरक्राफ्ट इतना ज्यादा पावरफुल है कि यह लंबे समय तक पहाड़ी इलाकों में भी फ्लाई करता रहेगा और पिछले साल 2033 में इस एयरक्राफ्ट की टेक्नोलॉजी भारत ने श्रीलंका को भी ट्रांसफर की थी

 

 

ताकि श्रीलंका में हम इसकी रिपेयरिंग और मेंटेनेंस करवा सकें और साथ ही श्रीलंका भी अपनी मिलिट्री पावर को बढ़ा सके और श्रीलंका भारत के रिलेशनशिप इस समय अच्छे हैं तो ऐसे में जरूरत पड़ने पर श्रीलंका भी भारत की मदद कर सकेगा आपको बता दें कि इन एयरक्राफ्ट में जर्मनी के द्वारा डेवलप किया जा रहे पावरफुल इंजन का इस्तेमाल किया जाता है हालांकि भारत की कंपनियां ज्यादातर खुद डेवलप कर रही है ताकि सेल्फ डिपेंडेंसी को और भी ज्यादा बढ़ाया जा सके इसके अलावा हाल ही में डिफेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट का एक डाटा जारी किया गया

जिसके मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2023 24 में लगभग 2100 करोड़ रुपए के डिफेंस इक्विपमेंट और हथियारों को हमने दूसरे देशों में एक्सपोर्ट किया है जहां पिछली साल की अपेक्षा इस साल भारत डिफेंस एक्सपोर्ट में 32.5 पर की बढ़ोत्तरी हुई है और भारत की डि फेंस एक्सपोर्ट के इसी डाटा को देखकर जर्मनी रूस फ्रांस और अमेरिका जैसे देश सोचने पर मजबूर हो चले हैं कि जो भारत लगभग 2 साल पहले डिफेंस इक्विपमेंट के लिए दूसरे देशों पर डिपेंडेंट था वह डिफेंस एक्सपोर्ट के मामले में इतनी तेजी से दूसरे देश के मार्केट पर कब्जा कैसे कर सकता है

 

 

और एक अप्रैल को इंडियन डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने एक्स पर पोस्ट के माध्यम से बताया कि इंडिया के फेंस एक्सपोर्ट ने एक नई कामयाबी हासिल की है और इस बार 2000 करोड़ रुपए को क्रॉस कर चुका है और उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी बताया कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब इंडियन डिफेंस एक्सपोर्ट ने 2000 करोड़ रुपए के टारगेट को अचीव किया है केवल डिफेंस ही नहीं बल्कि इसके अलावा ओवरऑल एक्सपोर्ट को देखा जाए तो भी भारत तेजी के साथ दूसरे देशों के मार्केट पर कब्जा कर रहा है

और भारत की हिंदुस्तान एरोनॉटिक लिमिटेड को फाइनेंशियल ईयर 2023 24 में इतने ज्यादा प्रोजेक्ट मिले हैं जितने आज से पहले कभी नहीं मिले थे और इस समय देखा जाए तो हिंदुस्तान एरोनोट लिमिटेड की इंडिया में लगभग 16 प्रोडक्शन यूनिट मौजूद है और यह कंपनी बढ़ती डिमांड के अनुसार अपने प्रोडक्शन को बढ़ाती जा रही है जिससे ओवरऑल भारत के अलावा दूसरे देशों के भी कांट ट्रैक्ट इस कंपनी को मिल रहे हैं हालांकि केवल डिफेंस एक्सपोर्ट ही नहीं बल्कि इसके अलावा हाल ही में एक खबर सामने निकल कर आई कि भारत मैन्युफैक्चरिंग के मामले में चीन और वियतनाम का अल्टरनेटिव कंट्री बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है

 

 

वैसे देखा जाए तो इसके बाद भारत एशिया का टॉप मैन्युफैक्चरर कंपनी वाला कंट्रीज बन पाएगा लेकिन उसके लिए लोअर टैक्स को इंप्रूव करने की काफी ज्यादा जरूरत है और भारत को टॉप मैन्युफैक्चरर कंपनी और एक्सपोर्ट वाला देश बनने में उतनी भी ज्यादा दिक्कत नहीं आने वाली क्योंकि इस समय अमेरिका और कई मिडिल ईस्ट देशों से चीन की कंपनियों को बाहर निकाला जा चुका है और भारत ने जिन देशों के साथ एटीए यानी कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किया है उसका फायदा अब मिल रहा है जब इन देशों में इंडियन प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ रही है क्योंकि इन देशों में इंडियन प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करने के लिए इनकी मार्केट का फ्री ट्रेड एक्सेस मिला हुआ है

तो ऐसे में हम इन देशों में इंडियन प्रोडक्ट को ड्यूटी फ्री एक्सपोर्ट कर पा रहे हैं खैर यदि केवल डिफेंस सेक्टर पर नजर डाली जाए तो हमने पिछले एक साल में भारत के पड़ोसी देशों को लेकर 85 से भी ज्यादा देशों को डिफेंस एक्सपोर्ट किया है जिसकी टोटल वैल्यू 000 करोड़ रुपए को क्रॉस कर चुकी है जबकि पिछले साल केवल 15920 करोड़ रुपए के आसपास था यानी कि एक साल में लगभग 30 2.5 पर की ग्रोथ देखने को मिली है और यह जर्मनी रूस फ्रांस और अमेरिका के लिए चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि अभी तक जिन देशों में यह देश डिफेंस का एक्सपोर्ट करते थे

 

 

उन्हें भारत तेजी के साथ रिप्लेस कर रहा है क्योंकि इंडियन डिफेंस इक्विपमेंट थोड़ा महंगे जरूर हैं लेकिन इनकी क्वालिटी को देख ज्यादातर देश भारतीय डिफेंस इक्विपमेंट और वेपंस को पसंद कर रहे हैं जिसमें से एक कांट्रैक्ट 155 मिलियन डॉलर का भारत की कल्याणी ग्रुप को सौंपा गया था और अभी एक दो दिनों पहले तीन की संख्या में पिनाका मिसाइल रॉकेट वेरिएंट बनाने का एक्सपोर्ट ऑर्डर भी मिल चुका है जिसकी टोटल वैल्यू लगभग 255 मिलियन डॉलर के आसपास है

 

 

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