India ke 10 sabse bade ghotale
• भारत के इतिहास के 10 बड़े घोटालों कौन से है ?
पहला : जीप घोटाला ?
सबसे पहले पहले बात करते हैं आजादी के बाद हुए सबसे पहले घोटाले की ये बात है साल 1948 की अभी देश आजादी हुआ था और हमने पहली फुर्सत में ही जीप घोटाला कर डाला दरअसल कश्मीर में पाकिस्तान के हमले के बाद भारतीय सेना को जीपों की जरूरत थी उस वक्त 300 पाउंड प्रति जीप के हिसाब से ब्रिटेन की एक कंपनी को 1500 जीपों का ऑर्डर दिया गया लेकिन 1949 तक सिर्फ 155 जीपों की ही डिलीवरी हो पाई इनमें भी ज्यादातर जीपों की क्वालिटी बहुत खराब थी
जांच की गई तो फर्जीवाड़े में ब्रिटेन में मौजूद भारत के हाई कमिश्नर वी के मेनन का नाम आया मेनन साहब उस वक्त के प्राइम मिनिस्टर नेहरू जी के बड़े लाड़ मेनन ने लंडन में रहकर अपनी सेटिंग करनी शुरू कर दी थी जब भारत को जीपों की जरूरत थी तो मेनन ने लंडन की एक ऐसी कंपनी से डील करवा दी जिस कंपनी में सिर्फ दो-तीन लोग ही थे यहां तक कि कंपनी के पास नाम मात्र के ही पैसे थे इस कांड की जानकारी जब भारत पहुंची तो स्यापा मच गया मेनन को लंडन में हाई कमिशनर के पद से हटा दिया गया
मगर अंधेर गर्दी देखो जिन मेनन पर इस पूरे घोटाले का आरोप लगा था बाद में उन्हीं मेनन की सिफारिश पर घोटाला करने वाली कंपनियों के खिलाफ केस लड़ने के लिए वकील चुना गया कई साल चली इस जांच के बाद 1955 में इस मामले को बंद कर दिया गया और जिन मैनन पर घोटाले के आरोप लगे थे बाद में उन्हीं को आदरणीय नेहरू जी ने अपनी कैबिनेट में मंत्री बना दिया इस तरह आजाद भारत में किसी घोटालेबाज को सम्मानित करने का यह पहला मामला बन गया
और आने वाले भ्रष्टाचारियों को प्रेरणा मिली जीभ घोटाले के बाद 1951 में साइकिल आयात घोटाला सामने आया इसके बाद 1956 में बीएचयू फंड घोटाला हुआ फिर 1958 में हरिदास मुंदड़ा मामला 1960 में तेजा लोन स्कैम 1963 में प्रताप सिंह कैरो स्कैम 1965 में पटनायक कलिंग ट्यूब्स मामला 1974 में 76 में कु ऑयल डील 1981 में अंतुले ट्रस्ट 1987 में एचडीडब्ल्यू दलाली मामला भी सामने आया इस तरह छोटे-मोटे घोटाले करके यह देश अपना टाइम पास करता रहा फिर आया साल 1987 और इसके बाद हमने ऐसा घोटाला किया जो कांग्रेस पार्टी की तबाही की वजह भी बन गया
दूसरा : हुविज तोप घोटाला ?
ने वाली कंपनी एबी बफर्स के बीच 14437 करोड़ की एक डील हुई इस डील के हिसाब से इंडियन आर्मी को 155 एमएम की 400 हुवि ज तोपे मिलने थ मगर 16 अप्रैल 1987 को कुछ ऐसा हुआ जिससे भारतीय पॉलिटिक्स में भूचाल आ गया स्वीडन के रेडियो स्टेशन ने क्लेम किया कि कंपनी ने इस रक्षा सौदे के बदले भारत के कुछ नेताओं और रक्षा विभाग के अधिकारियों को 660 करोड़ घूस में दिए हैं
इसके बाद 20 अप्रैल 1987 को लोकसभा में राजीव गांधी ने बताया था कि ना ही कोई रिश्वत दी गई और ना ही इस डील में किसी ब्रोकर का कोई रोल है हंगामा बढ़ा तो मामले की जांच के लिए जेपीसी बनाई गई मामले की जांच के लिए एक टीम स्वीडन भेजी गई इस बीच प्रेशर लगातार बढ़ रहा था और आखिरकार 29 नवंबर 1989 को राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया
404 सांसदों से जीत कर आई कांग्रेस पार्टी इसके बाद 1989 में हुए आम चुनाव में 193 सिर्फ 193 सीटों पर सिमट गई और तब से वो ऐसी गिरी कि आज तक संभल ही नहीं पाई बोफोर्स कांड कांग्रेस के चरित्र पर उस धब्बे की तरह लग चुका है जिसके दाग वो आज तक नहीं छुड़ा पाई
तीसरा : हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला ?
बोफोर्स के बाद साल 1992 1992 में हर्षद मेहता कांड सामने आया स्टॉक मार्केट में हर्षद का बड़ा नाम था आरोप है कि हर्षद ने धोखाधड़ी से बैंकों का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया जिससे स्टॉक मार्केट को करीब 55000 करोड़ का घाटा हुआ था इसी पर आगे जाकर स्कैम 92 नाम से एक वेब सीरीज भी बनी बैंक अफसरों की मिली भगत से हर्षद ने इतने बड़े स्कैम को अंजाम कैसे दिया वो उसमें दिखाया गया था हर्षद मेहता अलग-अलग बैंकों से लोन लेकर उसे शेयर बाजार में इन्वेस्ट करता था
फिर फिक्टिशस प्रैक्टिस के जरिए वो जिस कंपनी में इन्वेस्ट करता था उसका स्टॉक वैल्यू बढ़ा देता था यह प्रोसेस तब तक अच्छी तरह से चलता रहा जब तक कि स्टॉक क्रैश नहीं हो गया और जिस दिन ऐसा हुआ उसे सीधे 10000 करोड़ का नुकसान हो गया यह रकम उस वक्त के टोटल हेल्थ बजट और शिक्षा बजट से ज्यादा थी सरकारी सिस्टम में कमियों का फायदा उठाकर उसने बैंक रसीद स्टैंप पेपर्स और रेडी फॉरवर्ड डील जैसे कई घोटालों का अंजाम दिया मेहता को 1992 में गिरफ्तार किया गया था
और धोखाधड़ी के आरोप में 5 साल तक हिरासत में भी रखा गया था और बाद में उनकी जेल में ही दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई
चौथा : हवाला पैसा घोटाला ?
यह बात है 25 मार्च 1991 की उस वक्त कश्मीर में हालात बेहद खराब थे हफ्तों की भागदौड़ के के बाद दिल्ली पुलिस को एक बड़ी लीड मिली जमात इस्लामी के दिल्ली हेड क्वार्टर से कश्मीरी आतंकवादी अशफाक हुसैन लोन को पकड़ा गया अशफाक की निशानदेही पर शहाबुद्दीन गोरी नाम के एक और आतंकी को पकड़ा गया गोरी उस समय जेएनयू का स्टूडेंट था पूछताछ में पता लगा कि दोनों युवक हवाला के जरिए पैसा हासिल कर उसे आतंकवादी संगठन जम्मूकश्मीर लिबरेशन फ्रंट तक पहुंचाते थे
3 मई 1991 को सीबीआई ने अलग-अलग हवाला कारोबारियों के 20 ठिकानों पर छापा मारा इसमें भिलाई इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेंद्र कुमार जैन के मेहरोली स्थित फार्म हाउस पर भी छापा डाला गया उसी वक्त उनके भाई जे जैन के दफ्तर पर भी छापा पड़ा उस छापे में बड़े लेवल पर पैसे के साथ-साथ दो डायरिया भी मिली आगे चलकर इस डायरी में कई बड़े लोगों को हवाला के जरिए पैसे देने की डिटेल थी
इनमें तीन कैबिनेट मंत्रियों समेत सरकार के सात मंत्री कांग्रेस के कई बड़े नेता दो राज्यपालों और नेता प्रतिपक्ष लाल कृष्ण आडवाणी का नाम भी शामिल था लिस्ट में हर नाम के आगे ये भी लिखा था कि किसे कितने पैसे दिए गए जैसे-तैसे करके 16 जनवरी 1996 को इस मामले में चार शट दाखिल की गई मगर कोर्ट ने डायरी को बुक ऑफ अकाउंट मानने से ही इंकार कर दिया
आसान शब्दों में कहें तो कोर्ट ने डायरी में लिखे नामों को सबूत नहीं माना उसका कहना था कि डायरी में किसी का भी नाम जोड़ा या हटाया जा सकता है इसके बाद सीबीआई डायरी में दर्ज नामों के अलावा कोई और सबूत नहीं दे पाई और आगे चलकर ज्यादातर लोग बरी हो गए
पांचवा : रामलिंग राजू की सत्यम कंप्यूटर सर्विसेस शेयर घोटाला ?
6 जनवरी 2009 तब भी रामलिंग राजू की सत्यम कंप्यूटर सर्विसेस शेयर होल्डर्स की पसंदीदा कंपनी थी कंपनी का ब्रांड अच्छा था तिमाही के नतीजे अच्छे आ रहे थे और उसके साथ ऐसा सब कुछ था जो एक कामयाब कंपनी में होता है मगर इस उजली तस्वीर के पीछे राजू का एक बड़ा फ्रॉड भी था सत्यम कंप्यूटर्स अपनी बैलेंस शीट में प्रॉफिट और रेवेन्यू को काफी बढ़ा चढ़ा कर दिखा रहा था इस फेक मैनिपुलेशन से कंपनी के शेयर लगातार ऊपर जा रहे थे
और उनकी नेटवर्थ भी बढ़ती जा रही थी यह वो वक्त था जब रामलिंग राजू ने कुछ नेताओं से भी पैसे लिए थे और उसे रियल एस्टेट के बिजनेस में इन्वेस्ट कर रखा था यही टाइम था जब पूरी दुनिया भारी मंदी की चपेट में चली गई राजू की रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट डूब रही थी नेताओं ने अपने पैसे राजू से वापस मांगे तो उसने पूरे फर्जीवाड़े को कबूल कर लिया राजू के खुलासे के साथ ही एक झटके में सत्यम के शेयर्स अर्श से फर्श पर आ गए
इन्वेस्टर्स के 144000 करोड़ रुपए डूब गए और बहुत से लोग तबाह हो गए इस व वाड़े के लिए राजू पर केस किया गया सेबी ने अपने लेवल पर जांच की और घोटाले के तकरीबन 14 सालों बाद दिसंबर 2023 में राजू के अलावा चार और लोगों को घोटाले का दोषी मानते हुए उन पर 1747 करोड़ का जुर्माना लगाया
छठवा : इंटरनेट स्पीड मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के नाम पर घोटाला ?
दोस्तों ये बात है 2010 की देश में इंटरनेट स्पीड को बढ़ाने के लिए मोबाइल नेटवर्क कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की गई ए राजा उस वक्त देश के संचार मंत्री हुआ करते थे इल्जाम लगा कि उन्होंने बिना बोली के पहले आओ पहले पाओ की पॉलिसी पर ही स्पेक्ट्रम दे दिए जिससे सरकार को 176000 करोड़ का नुकसान हुआ इस मामले पर देश भर में खूब हंगामा हुआ ए राजा के साथ-साथ इस घोटाले में उस वक्त के प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह का भी नाम आया
विवाद बढ़ने पर ए राजा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा मगर मजे की बात यह है कि जिस घोटाले को बेस बनाकर 2014 में यूपीए के खिलाफ इतना हल्ला किया गया उसी मामले में दिसंबर 2017 में सीबीआई कोर्ट ने सभी एक्यूज को रिहा कर दिया कोर्ट ने कहा कि यह मुकदमा ही गलत किया गया था ऐसा माना गया कि यह घोटाला हुआ ही नहीं
सातवां : कॉमनवेल्थ घोटाला ?
कॉमनवेल्थ घोटाला भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक इसे कहा जाता है 2010 में कॉमनवेल्थ खेलों में बड़े पैमाने पर पैसों का घपला किया गया एक अनुमान के मुताबिक कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में देश को 70000 करोड़ का चूना लगाया गया कांग्रेस नेता और कॉमनवेल्थ खेल समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 खत्म होने के 193 दिन बाद 25 अप्रैल 2011 को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया
कलमाड़ी पर पैसों की हीरा फेरी का आरोप लगा उन पर आरोप यह भी लगा कि उन्होंने कम पैसों की चीजें 100 से 200 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी 1000 करोड़ में चार स्टेडियम बनाए जाने थे जिसे बनाने में उन्होंने दुगने से भी ज्यादा 22400 करोड़ खर्च किए 880 का टॉयलेट पेपर ₹ 400 में खरीदा गया 3500 का बाथरूम का शीशा 17500 में खरीदा गया 00 के साबुन के डिस्पेंसर पर ₹1000000 खर्च किए गए और कुछ लाख की एल्टीट्यूड ट्रेनिंग मशीन को 2 करोड़ में खरीदा गया
टेंडर मिलने से पहले ही कुछ कंपनियों को महंगे दामों पर ठेके दे दिए गए कॉमनवेल्थ गेम्स का वेन्यू बनाने तक में घपले बाजी की गई कुल मिलाकर हजारों करोड़ का घोटाला हुआ जिन खेलों से दुनिया में भारत की छवि चमकती थी वही खेल भारत की शर्म का सबब बन गए दुनिया भर के मीडिया ने आयोजन में हुई इन गड़बड़ियों पर खूब मजे लिए इस मामले में आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी 9 महीने तक तिहाड़ जेल में भी बंद रहे और बाद में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिल गई
आठवा : कोयला घोटाला ?
कोयला घोटाला भारत के इतिहास का आज तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है कोयला आवंटन घोटाला या कोलगेट घोटाला एक पॉलिटिकल स्कैंडल है जो 2012 में सामने आया था जब यूपीए सरकार सत्ता में थी सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2004 से 2009 के बीच 195 कोयला ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया गया इस तरह गलत तरीके से कोयला ब्लॉक देने से देश को लाखों करोड़ का नुकसान हुआ इस घोटाले में कई नेता और अधिकारी शामिल थे
सीएजी ने शुरू में 10 लाख करोड़ रपए से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया था लेकिन अंतिम रिपोर्ट में घोटाले की राशि 1.86 लाख करोड़ की बताई गई इस मामले में आगे चलकर 13 लोगों को दोषी पाया गया जिसमें कई आईएस अधिकारियों के अलावा पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता भी शामिल थे
नौवा : विजय मालया और नीरव मोदी बैंक लोन घोटाला ?
2 मार्च 2016 को एक खबर आई कि यूबी ग्रुप के चेयरमैन विजय मालया देश छोड़कर भाग गए हैं विजय मालय एक जानी मानी शख्सियत थे वो किंग फिशर एयरलाइंस के मालिक थे राज्यसभा के सदस्य रहे थे 2012 से उनकी कंपनियों की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी वो बैंकों को लोन का भुगतान नहीं कर पा रहे थे इसके बाद बैंकों ने उन्हें डिफॉल्टर घोषित करना शुरू किया तो वो देश छोड़कर भाग गए उन पर 17 बैंकों का 9000 करोड़ बकाया था वो पिछले ठ सालों से ब्रिटेन में रह रहे हैं केंद्र सरकार की एजेंसियां माल से रिकवरी में जुटी हैं मालिया की संपत्तियों को सीज कर दिया गया है और उसकी नीलामी भी हो रही है
मालिया के खिलाफ एक केस ब्रिटेन की अदालत में भी चल रहा है मालिया का जन्म कोलकाता में हुआ था उनके फादर विट्ठल माल्या देश के जानेमाने बिजनेसमैन थे कोलकाता के सेंट जेविस कॉलेज से बीकॉम करने के बाद उन्होंने अपने फादर की ही कंपनी में इंटर्नशिप की उस वक्त वो साइकिल से ही ऑफिस आया करते थे 1983 में पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने सिर्फ 28 साल की उम्र में यूबी ग्रुप को संभाला अगर जिस हालात में वो देश से फरार हुए वो आज भी मौजूदा गवर्नमेंट के लिए सिरदर्द बना हुआ है
अभी विजय माला के भारत से फरार होने की खबरें सुर्खियों में ही थी कि ऐसी खबर नीरव मोदी को लेकर भी आने लगी नीरव मोदी की घोटाले की शुरुआत हुई फरवरी 2017 में नीरव मोदी ने बैंक से आठ किश्तों में 14000 करोड़ का लोन लिया था जनवरी 2018 में लोन लेने के बाद नीरव मोदी भारत से फरार हो गए नीरव मोदी के अलावा उसके मामा मेहुल चौकसी भी मुख्य आरोपी हैं इन दोनों पर इल्जाम है कि इन्होंने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग एल ओयू के जरिए पंजाब नेशनल बैंक में 1300 करोड़ का घोटाला ला कर डाला दोनों के खिलाफ मनी लरिंग आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी और सरकारी कर्मचारियों को प्रताड़ित करने जैसे केस भी दर्ज हैं
सीबीआई और ईडी की जांच के बाद पीएमएलए कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया साल 2018 में पीएनबी बैंक ने उस पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाया फरवरी 2018 में सीबीआई ने नीरव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जून 2018 में उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया साल 2019 में नीरव मोदी को लंडन में ब्रिटेन की पुलिस ने गिरफ्तार किया अगस्त 2019 में सीबीआई ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की अर्जी भी लगाई ब्रिटेन की लोअर कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूर दे दी लेकिन साल 2021 में इस फैसले के खिलाफ ब्रिटेन की हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई मामला अभी भी कोर्ट में है
दसवा : एबीजी शिपयार्ड घोटाले ?
और दोस्तों आखिर में बात होगी एबीजी शिपयार्ड घोटाले की अगर आपको लगता है कि विजय मालय ने 9000 करोड़ और नीरव मोदी ने 14000 करोड़ का घोटाला करके कोई बड़ा तीर मारा है तो आप इस कंपनी के कारनामे जरा सुनिए आपको बता दें 1985 में एबीजी शिपयार्ड कंपनी की शुरुआत हुई थी गुजरात के दहेज और सूरत में एबीजी समूह की ये शिपयार्ड कंपनी पानी के जहाज बनाने और उनकी मरम्मत का काम करती है अब तक ये कंपनी 165 जहाज बना चु चुकी है एबीजी शिपयार्ड पर आरोप है
कि इसने भारतीय बैंकों से लोन लिया और बाद में उस पैसे को कुछ विदेशी कंपनियों की मदद से प्रॉपर्टी और बाकी धंधों में इन्वेस्ट कर दिया अंस एन यंग की फॉरेंसिक रिपोर्ट के हिसाब से 2012 से 2017 के बीच इन लोगों ने मिली भगत करके कई गैरकानूनी कामों को अंजाम दिया है जिसमें फंड का डायवर्जन और हेराफेरी शामिल है एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने देश की अलग-अलग 28 बैंकों से कारोबार के नाम पर 2012 से 2017 के बीच कुल 2884 करोड़ का लोन लिया था कंपनी पर आरोप है
कि 27 ऐसी कंपनियां इन्होंने बना रखी थी जो सिर्फ पेपर पर ही मौजूद थी इस इसके अलावा सिंगापुर में मौजूद अपनी कुछ कंपनियों के जरिए भारत में मौजूद अपने पैसे को वहां ट्रांसफर य करती थी और बाद में इस पैसे को ऐसे देशों और बैंकों में भेजा जाता था जहां इन पर कोई टैक्स नहीं लगता था सीबीआई ने गुजरात स्थित एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और इसके पूर्व अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि कमलेश अग्रवाल के अलावा कई और लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है
एबीजी शिपयार्ड की तरफ से किया गया ये 22000 करोड़ का घोटाला भारत के बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है तो दोस्तों ये थी उन 10 बड़े घोटालों की लिस्ट जिसने इस देश को हिलाकर रख दिया था
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