America Russian or chaina ko piche choda India

• भारतीय वैज्ञानिकों को हल्के में लेना पड़ा महँगा पूरी बात समझिये क्या हुवा  ?

भारतीय वैज्ञानिकों को चैलेंज करना किस हद तक जा सकता है इसके बारे में किसी देश ने कभी सोचा भी नहीं था रूस जर्मनी और अमेरिका जैसे देश भारतीय वैज्ञानिकों को बड़े हल्के में ले रहे थे इन देशों को अपनी तकनीक पर इतना घमंड था कि यह देश भारत से दुश्मनी लेने को उतावले हो गए थे लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसा झटका दिया है कि उनकी सात पुस्त याद रखेगी अगर आप थोड़ा सर्च करेंगे तो पाए कि जो देश ताकतवर है महाशक्तिशाली है उनके पास एक हथियार सबसे ज्यादा एडवांस और सबसे ज्यादा खतरनाक मिलेगा और वह है

फाइटर जेट जिस देश के पास सबसे उन्नत तकनीक और एडवांस जनरेशन वाले फाइटर जेट है यानी जिसकी हवाई ताकत जितनी ज्यादा मजबूत है वह देश उतना ही ज्यादा शक्तिशाली है क्योंकि आने वाले दिनों में युद्ध जमीन पर नहीं बल्कि हवा में लड़े जाएंगे और मोदी सरकार का यही विजन है कि भारत भी ऐसी तकनीक को विकसित करें जो रूस चीन और अमेरिका जैसे देशों के पास नहीं हो तभी तो भारत ने अपने हाथ से बनाया हुआ विमान यानी कि तेजस फाइटर जेट का प्रोडक्शन बहुत अधिक रफ्तार से बढ़ा दिया है

 

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साथ ही तेजस मार्क टू पर भी सरकार बहुत ज्यादा ध्यान दे रही है दोस्तों एक और फाइटर जेट है जो पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है जिसका नाम है एमका यानी कि एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट भारतीय वैज्ञानिक इस खूंखार विमान को बनाने के लिए इतने जोर सोर से लगे हुए हैं कि दिन रात एक कर दिए हैं सबसे कमाल की बात यह है कि इस विमान में लगने वाले ऐसी कोई भी तकनीक नहीं है जो हमें किसी दूसरे देश से लेनी पड़े क्योंकि भारत इस विमान को मेक इन इंडिया के तहत खुद से डेवलप कर रहा है लेकिन इसमें एक चीज की कमी रह गई है और वह है

इसका इंजन दोस्तों भारत ने एक से बढ़कर एक फाइटर जेट बनाए हैं पर किसी भी फाइटर जेट में खुद का बनाया हुआ इंजन नहीं लगाया है भारत अपने फाइटर जेट में लगने वा इंजन या तो रूस अमेरिका या फिर फ्रांस से मंगवा है भारत के पास अब भी खुद का इंजन नहीं है और जो इंजन इसके लिए बनाया गया था यानी कि कावेरी इंजन वह इसके लिए जरूरी थ्रस्ट पैदा नहीं कर पा रहा जो एम का फाइटर जेट को चाहिए थी हालांकि भारतीय वैज्ञानिकों ने दिन रात एक करके जो इंजन बनाया है उससे यूएवी ड्रोन को तैयार किया जा रहा है लेकिन यहां पर बात है

 

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पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के इंजन की हालांकि कुछ दिन पहले जब पीएम मोदी अमेरिका गए तब अमेरिका ने भारत को अपना जीए 414 इंजन देने की बात कही थी लेकिन अभी तक ना तो इंजन मिला है और ना ही उस पर कोई बात आगे बढ़ पाई है इसीलिए भारत चाहता है कि वह कैसे भी करके अपने इस एम का फाइटर जेट को अगले साल यानी कि 2025 26 तक भारतीय एयरफोर्स में शामिल कर दे इसके लिए भारत कुछ भी कर सकता है क्योंकि भारत को घेरने के लिए चीन और पाकिस्तान जैसे देश लगातार प्रयास कर रहे हैं

और अब तो मालदीव जैसे देश भी भारत के खिलाफ हो चुके हैं यही कारण है कि भारत को यह फाइटर जेट कुछ भी करके रेडी करना आवश्यक हो चुका है और यही वजह है कि मोदी सरकार ने तेजस मार्क टू और एमका वन और एमका के बाद एमका मार्क टू तक को रेडी करने का प्लान कर चुके हैं और उसे किसी भी कीमत पर फाइनल करने के लिए कहा है दोस्तों इसको लेकर जो खबर आई है यकीन मानिए ने रूस ब्रिटेन फ्रांस चीन और अमेरिका इन सभी देशों को हैरान कर दिया है इस खबर के बाद यह सारे देश भारत को अपनी तकनीक देने के लिए भारत की तरफ भागने लगे हैं

एमका फाइटर जेट को लेकर जो शानदार खबर निकलकर सामने आई है उसको बताने से पहले भारतीय वैज्ञानिकों के दिन रात के मेहनत से तैयार किए जा रहे

 

 

• एमका पर ताजा अपडेट की बात करें

डीआरडीओ ने फाइनल अप्रूवल और बजट के लिए कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी के पास प्रपोजल भेजा है इसके बाद दूसरा बड़ा अपडेट यह है कि यूके बेस्ट कंपनी रोल्स रॉयस ने भारत को अपने इंजन की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने की मंजूरी भी दे दी है और फिलहाल यूके गवर्नमेंट से एक्सपोर्ट लाइसेंस का भी अप्रूवल ले लिया गया है

यह खबर बताने से पहले हम आपको यह भी बता दें कि एमका को लेकर मोदी सरकार ने फैसला किया था कि इसे पूरी तरह से भारत में ही तैयार किया जाएगा हालांकि कई बड़े देशों की तरफ से भारत को कई तरह के ऑफर आ चुके हैं जैसे कि इस फाइटर जेट को दूसरे देश में रेडी किया जाए या फिर पहले से रेडी फाइटर जेट ही खरीद लिया जाए लेकिन भारत चाहता है कि इसे मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाया जाए और यही वजह है कि भारत अपने फैसले पर अड़ा हुआ है दोस्तों इस हवाई योद्धा के लिए जो इंजन भारत को चाहिए वह बहुत ही ज्यादा हाई कैपेसिटी का होना चाहिए लेकिन उसके रिसर्च और उसे बनाने में बहुत ज्यादा लंबा वक्त लग सकता है

 

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• पीएम मोदी ने बुलेट की रफ्तार को बढ़ाने का फैसला किउ लिया  ?

इसलिए पीएम मोदी ने इसको बुलेट की रफ्तार से तैयार करने के लिए एक्स्ट्रा सोर्सेस की मदद लेने का फैसला किया है भारत ने इसके लिए कई सारे ऑफर को रिजेक्ट किया है लेकिन भारत के साथ जो हुआ वह पूरी दुनिया के होश उड़ा देने वाला है दोस्तों भारत के एमका का इंजन बनाने के लिए ब्रिटेन के रोल्स रॉयल्स कंपनी है और इसने भारत को यह ऑफर दिया है जिससे फ्रांस और अमेरिका जैसे देश भी खिल चुके हैं दरअसल दोस्तों भारत के पास एमका फाइटर जट के इंजन के लिए दो बड़े ऑफर आए हैं पहला आया है रोल्स रॉयस की तरफ से उसने कहा है

कि अगर भारत चाहे तो उसके साथ मिलकर करीब 110 किलो न्यूटन क्लास के इंजन को बनाया जा सकता है इसका निर्माण भारत में होगा और सबसे कमाल की बात यह है कि इसका मालिकाना हक भारत के पास रहेंगे यानी कि यह कंपनी भारत को बिल्कुल एक नया इंजन बनाक देगी जो आज तक किसी किसी के पास भी नहीं है और इस इंजन की टेक्नोलॉजी बिना भारत की परमिशन के कोई भी नहीं ले पाएगा दूसरा ऑफर ब्रिटेन के ही बीई सिस्टम ने दिया है जिन्होंने भारत को कहा कि भारत चाहे तो हमारे प्रोग्राम में शामिल हो सकता है जिसमें ब्रिटेन और जापान पहले से मिले हुए हैं

 

 

और यह देश मिलकर एक छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बना रहे हैं जिसका नाम होने वाला है टेंपेस्ट प्रोजेक्ट यानी भारत चाहे तो इस प्रोग्राम में शामिल होकर बराबर का हिस्से दार बन सकता है यह इंजन और इसका फाइटर जेट 2025 तक बनकर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा और बताया जा रहा है कि इसके टक्कर में ना तो कोई इंजन होगा और ना ही कोई लड़ाकू विमान आप सोचेंगे कि यह तो भारत के लिए सोने पर सुहागा वाला काम हो जाएगा लेकिन दोस्तों ऐसा नहीं है भारत के लिए बड़ी दिक्कत हो गई है और सबसे बड़ी दिक्कत यह आई है कि इस इंजन के मालिकाना हक भारत के पास नहीं रहेंगे

वही दूसरी ओर लग्जरी कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी रोल्स रॉयज मेक इन इंडिया के तहत यह ना केवल न्यू फाइटर जेट डेवलपमेंट के लिए भारत को जरूरी इंजन बनाने के लिए तैयार है बल्कि इंजन के लिए वह अपना टेक्निकल कंट्रीब्यूशन देना चाहती है बड़ी बात तो यह है कि इस इंजन पर मालिकाना हक भारत का ही रहेगा रोल्स रॉयस ने कंफर्म किया है कि इंडिया को कमांड इंजन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के लिए यूके गवर्नमेंट से उसको अप्रूवल मिल चुका है इतना ही नहीं जब ब्रिटेन भारत की तरफ इस तरह से भाग रहा है

 

 

तो फिर अमेरिका पीछे कैसे रहता अमेरिकन कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक भी अमेरिक सरकार के पास एक्सपोर्ट लाइसेंस के लिए रिक्वेस्ट कर चुकी है क्योंकि वह भारत के एमका प्रोग्राम के लिए कॉम्बैट इंजन के जॉइंट डेवलपमेंट को फंडिंग करना चाहती है मतलब कि दुनिया के टॉप डिफेंस प्लेयर्स भारत को अपना इंजन देने के लिए आपस में मार काट कर रहे हैं और दोस्तों यह दोनों ही ऑफर इस बात को बता रहे हैं कि यह मोदी सरकार के देश नीति का ही नतीजा है कि इतने बड़े से बड़े देश भी भारत के साथ काम करना चाहते हैं

वैसे दोस्तों भारत को अमेरिका के जनरल इलेक्ट्रिक और ब्रिटेन की रोल्स रॉयस ने एमका के लिए एक और बड़ी खबर निकलकर सामने आई है और वह आई है इंडियन पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी की ओर से जिसने भारतीय वायु सेना के लिए फाइटर जेट्स की रीी में देरी के लिए फटकार लगाई गई है इसके बाद से ही इस प्रोजेक्ट को बहुत तेज रफ्तार से बनाया जा रहा है डीआरडीओ और एचएएल के चीफ के साथ पीएम मोदी की लंबी चौड़ी मीटिंग हुई है

 

 

जिसमें कहा गया कि तेजस मार्क टू और एमका के टाइमलाइन में कोई भी देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी इसके सारे काम जल्द से जल्द निपटाने होंगे दोस्तों मोदी सरकार ने तेजस मार्क टू के लिए 2500 करोड़ की फंडिंग की थी और साढ़े 6000 करोड़ की फंडिंग अभी रिलीज कर दी गई है कुल मिलाकर प्रोजेक्ट के लिए 9000 करोड़ दिए जा चुके हैं आपको बता दें कि भारत के एमका प्रोजेक्ट पर कुल 15000 करोड़ का खर्च आएगा और अगर ऐसा हुआ तो 225 या 26 में इसका प्रोटोटाइप रोल आउट हो जाएगा

 

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