बदायूं घटना का पूरा सच – badayoon ghatana ka poora sach ?
दोस्तों 19 मार्च को बदायूं में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक बदायूं की बाबा कॉलोनी में सैलून चलाने वाले साजिद और जावेद उसी कॉलोनी में रहने वाले विनोद के घर जाते हैं ये दोनों भाई सात साल से इसी मोहल्ले में सैलून चला रहे थे विनोद सिंह की पत्नी संगीता भी अपने घर के दो कमरों में पार्लर चलाती थी साजिद और जावेद इस परिवार को काफी वक्त से जानते थे
दोनों के इस परिवार से संबंध भी इतने अच्छे थे कि वो कभी भी चाय पीने इनके घर आ जाते थे यहां तक कि जिन दो बच्चों का उन्होंने मर्डर किया वो उनके साथ फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर भी डालते थे 19 मार्च को साजिद विनोद के घर आता है और विनोद सिंह की पत्नी से यानी संगीता से वो कहते हैं कि मेरी बीवी प्रेग्नेंट है मेरे पास सिर्फ ₹500 रुपए हैं मुझे ₹5000 रुपये चाहिए संगीता अपने हस्बैंड विनोद से बात करके उन्हें ₹5000 रुपये दें देती है और उसके बाद वह चाय बनाने किचन में चली जाती है
इसी दौरान साजिद ऊपर वाले ब्यूटी पार्लर वाले कमरे में पहुंच जाता है ऊपर पहुंच कर वह बड़े बेटे आयुष से बोलता है कि मेरे लिए पानी का बोतल लेकर आओ आयुष पानी लेकर ऊपर पहुंचता है तो साजिद उसे पर जानवर काटने वाले चाकू से हमला कर देता है भाई के चीखने की आवाज सुनकर 7 साल का हनी ऊपर आता है तो साजिद उस पर भी हमला बोल देता है दोनों भाइयों की चीख सुनकर तीसरा भाई पियूष ऊपर आता है
दोनों भाइयों को खून से लथपथ देखकर वोह शोर मचाने लगता है बेटे की शोर मचाने की आवाज सुनकर मां संगीता भी ऊपर आती है तो साजिद पियूष और संगीता पर भी हमला करने की कोशिश करता है जिस दौरान साजिद अंदर बच्चों को मार रहा था उसी वक्त उसका भाई जावेद हाथ में चाकू लेकर घर के बाहर खड़ा होकर लोगों को अंदर आने से रोक रहा था
दोनों भाई जब भागने लगे तो बाहर खड़े लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश की मगर उनके हाथ में हथियार होने की वजह से भीड़ पीछे हट गई वारदात के कुछ देर बाद ही यूपी पुलिस ने साजिद का एनकाउंटर कर दिया दोस्तों जब से ये खबर सामने आई है पूरा देश सन्न है मासूम बच्चों को जिस तरह से जानवर वाले चाकू से गोद कर मारा गया इससे हर किसी का कलेजा काप उठा
जिससे पैसे लिए उसी के बेटे को मार दिया
लोग इस बात पर हैरान हैं कि जो बच्चे साजिद और जावेद को चाचा कहते थे उन्हीं मासूम बच्चों को इन लोगों ने क्यों मार दिया शर्म की बात यह है कि जिस संगीता ने सिर्फ 10 मिनट पहले ही उसकी बीवी की डिलीवरी के लिए उसे ₹5000 दिये थे इन दोनों बेसियो ने उसी संगीता के बच्चों को मार डाला मतलब एक तरफ एक औरत अपनी जेब से निकालकर तुम्हें 5000 दे रही है ताकि तुम्हारी बीवी तुम्हारे बच्चे को जन्म दे पाए और जिस औरत ने ऐसा किया है तुम उसी औरत से उसके बच्चे छीन लेते हो छोटे वाले से कह दिया पानी ले तब तक उसने इससे ज्यादा शर्मनाक बात दुनिया में और क्या हो सकती है
दोस्तों बड़े को मार दिया छोटे वाले ने देखा तो उसका भी मडर कर दिया भाई मेरे दो को घटना के बाद बच्चों की मां संगीता का रो रोक बुरा हाल है उसे अब तक समझ नहीं आ रहा कि साजिद और जावेद ने उसके बच्चों के साथ ऐसा किया क्यों तीसरा बच्चा पियूष जो इस हमले में बच गया वो बेचारा इतना मासूम है कि वो अब भी अपने भाइयों को मारने वालों को सलून वाले भैया बोलकर एड्रेस कर रहा है
कुछ लोग तो ये भी क्लेम करें साजिद और जावेद का इन बच्चों के पिता विनोद से कुछ डिस्प्यूट था अरे भैया कैसा भी डिस्प्यूट क्यों ना हो मगर कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है कि बाप से किसी विवाद के चलते उसके छोटे बच्चों का गला काट दे इतना ही नहीं कुछ रिपोर्ट्स में यह भी क्लेम किया गया है
कि बच्चों को मारने के बाद साजिद ने हाथ में लेकर उनका खून भी पिया सर ये भी बताया जा रहा है कि कुछ बच्चों का तांत्रिक विद्या भी करता था ये कुछ खून पी रहा था बच्चों का ये अब जांच के विषय है जो आप बता रहे हैं कि वो तांत्रिक विद्या करता था या क्या करता था उसकी जांच की जाएगी और जो तथ है वो सामने आएंगे
वैसे डिस्प्यूट वाली बात में इसलिए भी ज्यादा दम नहीं लगता क्योंकि अगर सच में झगड़ा इतना बड़ा होता तो क्या विनोद या संगीता साजिद और जावेद को अपने घर में घुसने देते अगर लड़ाई इतनी ज्यादा थी तो क्या संगीता साजिद की बीवी की डिलीवरी के लिए 5000 दे देती अगर सच में कोई टेंशन थी तो क्या साजिद की इतनी हिम्मत होती कि वो उनके घर की दूसरी मंजिल पर पार्लर में चला जाता इन सब बातों से यही लगता है कि साजिद और जावेद का इस परिवार से कोई बड़ा झगड़ा नहीं था
इनफैक्ट अच्छे ही संबंध थे और इसीलिए दोस्तों ये बात हैरान करती है कि बिना किसी ठोस रीजन के इन दोनों ने आयुष और उसके 6 साल के भाई का मर्डर क्यों कर दिया आखिर एक नॉर्मल इंसान ऐसा कैसे कर सकता है एक नॉर्मल आदमी तो वहां भी किसी को चोट पहुंचाने से बचता है जहां सच में किसी ने उसका नुकसान किया हो ऐसा थोड़ी ना होता है
कि किसी ने आपको कोई नुकसान किया और आप एकदम से इतने हैवान हो गए कि जानवर काटने वाले चाकू से 6 साल के बच्चे की गर्दन काटने लगे नहीं बॉस ये नॉर्मल मानसिकता नहीं है आदमी कितना भी गुस्से में क्यों ना हो किसी से भी गुस्से में क्यों ना हो वो तब भी छोटे बच्चों पर हाथ नहीं उठाता वो छोटे बच्चे जो सबको अच्छा मानते हैं जिन बेचार को यह भी नहीं पता कि हिंदू मुसलमान क्या होता है
यह किसी और का गुस्सा बच्चों पर निकालने का मामला तो बिल्कुल भी नहीं है यह इनफैक्ट किसी के गुस्से का मामला भी नहीं है इसके पीछे तो ऐसी सोच दिखती है जिसमें बच्चों को मारने वालों को यह लग ही नहीं रहा है कि वह क्राइम कर रहे हैं शायद अपने हिसाब से वह कोई नेक काम कर रहे हैं क्योंकि जब किसी को अपने क्राइम में भी नेक काम दिखने लगे पुण्य दिखने लगे तो सोचो उसकी सोच कितनी जहरीली और खतरनाक है और ऐसा नहीं है कि इस सोच की वजह से होने वाला य कोई पहला क्राइम है
उदयपुर में कन्हैया लाल गरीब टेलर की हत्या कर दी गई थी
आपको याद होगा डेढ़ साल पहले ऐसे ही सोच के चलते उदयपुर में कन्हैया लाल नाम के गरीब टेलर की हत्या कर दी गई थी उस केस में भी उस गरीब कन्हैया लाल का क्या कसूर था उसके बेटे ने गलती से कुछ व्हाट्सएप ग्रुप में नूपुर शर्मा को सपोर्ट करते हुए व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज कर दीजिए उसके इस गलती पर दो जिहादी कपड़े सिलवाने के बहाने उसके दुकान पर जाते हैं
उस बेचारे टेलर को रती भर अंदाजा नहीं था कि जिन लोगों से वो कस्टमर समझकर बात कर रहे हैं वो उसका मर्डर करने आए वो बेचारा इन दोनों का नाप ले रहा था और तभी इन लोगों ने कन्हैया लाल का मर्डर कर दिया इतना ही नहीं इन दोनों ने मर्डर करते हुए कन्हैया का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी किया और जिस तरह मर्डर से पहले भी इन्होंने हंसते हुए वीडियो बनाए थे
अध्यक्ष कमलेश तिवारी की गला काट करर हत्या कर दी
उससे भी दोनों यही मैसेज देना चाह रहे थे कि मानो कोई नेक काम करने जा रहे हो इसी तरह 18 अक्टूबर 2019 को लखनऊ के नाका हिंडोला ऑफिस में हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की भी अशवाक और मोइनुद्दीन ने गला काट करर हत्या कर दी थी उस वक्त ये दोनों भगवा कुर्ता पहनकर मिठाई के डिब्बे में चाकू और पिस्टल छुपा कर ले गए थे वहां पहुंचकर उन्होंने कमलेश तिवारी के गले में ताबड़ तोड़ 15 से ज्यादा वार कर दिए इसके बाद उन्हें गोली मारकर वहां से भाग गए कमलेश तिवारी पर आरोप था कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद को लेकर कंट्रोवर्शियल स्टेटमेंट दिया था
जिसके लिए नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत उन पर केस भी हुआ था और वो जेल भी गए मगर उस बयान के बाद ही कुछ लोगों ने उनके मर्डर की बात की थी मर्डर करने से कुछ वक्त पहले से अशफाक और मोईनुद्दीन दोनों पहचान बदलकर कमलेश तिवारी से संपर्क में थे 18 अक्टूबर को कमलेश तिवारी ने इन दोनों को जब मिलने अपने ऑफिस बुलाया तो इन्होंने धोखे से उनकी हत्या कर दी
बेंगलुरू में एक दुकानदार को हनुमान चालीसा बजाने पर पीट दिया
दोस्तों इस तरह के यह कोई दो-चार नहीं बल्कि हम आपको यहां ऐसे दर्जनों केस बता सकते हैं जहां मर्डर करने के पीछे एक वर्ग की धार्मिक वजहें थी ज्यादा पीछे क्या जाना कुछ दिन पहले बेंगलुरू में एक दुकानदार को उन लोगों ने इसलिए पीट दिया क्योंकि उनके हिसाब से वह अजान के टाइम पर जानबूझकर हनुमान चालीसा बजा रहा था ये देखकर बड़ी हैरानी होती है दोस्तों कि जब इस तरह के केस सामने आते हैं जहां मर्डर करने वाले का मोटिव एकदम क्लियर होता है उसकी आइडियोलोजी भी साफ होती है
मगर एक सेक्शन उसके खिलाफ कुछ नहीं बोलता और ऐसा ना बोलने के पीछे कई रीजंस हैं पहली वजह तो ये है कि भले ही कन्हैया लाल की हत्या हो या कमलेश तिवारी की पहले तो एक सेक्शन ये मानता ही नहीं है कि इन हत्याओं के पीछे कोई मजहबी मकसद है भले मर्डर करने वाला खुद ये कह दे कि मैंने इसीलिए मारा है मगर ये लोग नहीं बोलते दूसरा अगर इन्हें पता भी हो कि सच में जो हुआ है वो गलत हुआ है
जैसा कि बधाइयों में दो छोटे बच्चों के मामले में हुआ मगर इसके बाद भी एक खास सेक्शन उस पर कुछ नहीं बोलता आमतौर पर अपनी तरफ से मामलों में तिल का ताड़ बना देने वाला यह जो सेक्शन है ये जो कौम है ऐसे मामलों पर एकदम अंडरग्राउंड हो जाता है ऐसा लगता है कि या तो उस दिन इनके घर अखबार नहीं आया था या फिर बिल ना भरने की वजह से इनका इंटरनेट कट गया था
पॉलिटिक्स इतनी इंपॉर्टेंट है ?
यकीन नहीं आता दोस्तों आप खुद जाकर इस खास सोच रखने वालों के स्ट्रांग ना हो जाए मतलब इन्हें मासूम बच्चों का मर जाना मंजूर है समाज में अपराध होते रहना देखते रहना मंजूर है मगर इनके लिए इनकी पॉलिटिक्स इतनी इंपॉर्टेंट है कि ये चू तक नहीं करेंगे इसके उलट ये लोग हर वक्त यह एजेंडा चलाएंगे कि कैसे एक खास कम्युनिटी इस देश में सताई जा रही है मगर वहीं अगर सताए जाने वाले कम्युनिटी के लोग ऐसी घटनाओं में शामिल होते हैं तो ये लोग मुंह भी नहीं खोलते
दोस्तों मैं एक बार फिर से क्लियर कर दूं कि हम किसी भी तरफ नहीं है हमें किसी के अपराध को जस्टिफाई नहीं करना है और ना ही किसी को देशद्रोही बताना है हमारी शिका शिकायत बस इतनी है कि अगर दादरी में भीड़ द्वारा गौ मांस के मुद्दे पर अखलाक की हत्या को मुद्दा बनाते हो तो बधाइयों में मारे गए इन दो भाइयों की मौत को भी मुद्दा बनाओ ना अगर आपका दिल पहलू खान की मौत पर पसीजता है तो उस दिल में थोड़ी सी संवेदना उस गरीब टेलर कन्हैया लाल के लिए भी तो लाओ अगर झारखंड में उस्मान अंसारी का पीटा जाना गलत था तो तुम नुपुर शर्मा को मिल रही धमकियों पर भी तो अपना मुंह खोलो और उससे भी बड़ी बात यह है कि तुम ये समझो कि अगर कमलेश तिवारी और कन्हैया लाल की हत्या से अगर एक पूरी बिरादरी कातिल और जिहादी नहीं हो जाती
तो उसी तरह दो-चार घटनाओं को आगे रखकर एक पूरी की पूरी हिंदू कौम को बदनाम मत करो यह मत भूलो कि यह हिंदू कौम ही है जिसने इस्लामिक पाकिस्तान और इस्लामिक बांग्लादेश बनने के बावजूद खुद को हमेशा सेकुलर बनाए रखा ये हिंदू कौम ही है जिसने पाकिस्तान में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों का बदला यहां की माइनॉरिटी यहां के अल्पसंख्यकों से नहीं लिया मगर अफसोस कि तुम ये भी नहीं समझते तुम्हें हर दूसरे दिन इस देश के सेकुलरिज्म पर खतरा दिखाई देता है
तुम हर दूसरे दिन इस देश के हिंदू को अत्याचारी बताते हो व हिंदू जो बेचारा खुद अपने बच्चों को जिहादियों के हाथों नहीं बचा पा रहा है वह हिंदू जो हिंदू बहुल देश में अपनी मर्जी से हनुमान चालीसा भी नहीं बजा पा रहा है वो हिंदू जो एक भी धार्मिक यात्रा बिना पत्थर खाए नहीं निकाल पा रहा है
और तुम उसी हिंदू को अत्याचारी बता रहे हो शर्म करो बॉस शर्म करो कहीं अगर चुल्लू भर पानी मिले तो वही करो जो तुम जैसों को कर लेना चाहिए अब और क्या ही कह दोस्तों आपका इस मामले पर क्या कहना है जरूर बताइएगा और यह भी बताइएगा कि जो मासूम बच्चे साजिद और जावेद को चाचा बोलते थे उनके साथ फोटो खिंचवाते थे उन दोनों बच्चों को इन लोगों ने बिना वजह क्यों मार डाला आखिर इन लोगों के मन में भरा वो कौन सा जहर था जिससे इनके हाथों मासूम बच्चों का कत्ल करवा दिया आपकी जो भी राय है जरूर बताइयेगा जय हिंद।