Arvind kejriwal
अरविंद केजरीवाल ने बोला था सत्ता में आने से पहले
इस कुर्सी के अंदर कुछ ना कुछ समस्या है जो इस कुर्सी के ऊपर बैठता है वही गड़बड़ हो जाता है तो कहीं ऐसा तो नहीं कि इस आंदोलन से जब विकल्प निकलेगा और वह लोग जब कुर्सी पर जाकर बैठेंगे कहीं वह ना भ्रष्ट हो जाए कहीं वह ना गड़बड़ करने लगे यह एक भारी चिंता है हम लोगों के मन में
पूरा मामला क्या है
तो भाई लोगों आखिरकार कई दिनों की लुका छिपी और आंख मिचौली के बाद ईडी वालों ने केजरीवाल जी को धर लिया है ईडी के नौ बार सामन भेजने के बाद भी पेश ना होने वाले केजरीवाल जी को ईडी की टीम उनके घर से डोली में बिठाकर ले गई इनफैक्ट सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि गिरफ्तार करने से पहले उनसे पूछा ईडी वालों ने कि आपको गिरफ्तार करें तो जवाब में केजरीवाल जी ने कहा तो करो ना भाई उनकी गिरफ्तारी के साथ ही यह भी साबित हो गया कि शराब इंसान का लिवर ही नहीं उसका करियर भी खराब कर सकती है 10 साल पहले भ्रष्टाचार खत्म करने के नाम पर राजनीति में आए केजरीवाल जी को 10 साल बाद खुद भ्रष्टाचार के नाम पर गिरफ्तार कर लिया गया है
उनकी गिरफ्तारी पर जहां उनके चाहने वाले इसे लोकतंत्र की हत्या मोदी की तानाशाही विपक्ष का खून पुतिन का जुल्म किम जॉन उनका बदला यह सब बता रहे हैं तो वहीं केजरीवाल के विरोधी उनके जेल जाने पर पटाखे फोड़ रहे हैं उनका कहना है कि आखिरकार केजरीवाल जी को उनके किए की सजा मिल गई कानून ने अपना काम कर दिया अब बाकी जिंदगी वो तिहाड़ में मनीष सिसो और संजय सिंह के साथ तीन पत्ती खेलते हुए बिताएंगे मतलब एक तरफ केजरीवाल जी के समर्थक उन्हें दूध का धुला और फिनायल का नहाया हुआ बता रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के समर्थकों के हिसाब से उन जैसा छटा हुआ नेता आसपास के 150 देशों में भी नहीं मिलेगा
तो आखिरकार केजरीवाल जी के जेल जाने के पीछे की कहानी क्या है क्या सच में उन्हें साजिश करके फंसाया गया या फिर दिल्ली सरकार की कंट्रोवर्शियल लिकर पॉलिसी में अपने रोल के चलते वो तिहाड़ का ब्रेड रोल खाने को मजबूर हुए हैं तो भैया आज के फन तंत्र में हम इन्हीं सवालों पर खुलकर बात करेंगे
तो केजरीवाल जी आप ही की इजाजत से शुरू करेंगे बोलिए करें तो
नमस्कार दोस्तों फन तंत्र देख रहे हैं आप मैं हूं संतोष आज से 10 साल पहले जब कांग्रेस की यूपीए सरकार में करप्शन अपने चरम पर था जब 2जी से लेकर सीडब्ल्यू जीी और जीजा जी तक ना जाने कितने घोटाले रोज हो रहे जब मूंगफली छीलने पर भी उसमें दाने की जगह घोटाला निकल कर आया करता था ठीक उसी टाइम देश में इंडिया अगेंस्ट करप्शन नाम की आंधी चली ये वो वक्त था जब पूरा देश अन्ना हजारे और उनकी टीम के साथ हो गया था लोगों ने अपनी नौकरियां तक छोड़कर इन लोगों का साथ दिया दुनिया के कोने-कोने से लोगों ने इनको डोनेशन दिए ये वो वक्त था जब केजरीवाल जी कहते थे कि हमारा राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है जी हम तो बस सिस्टम सुधारने आए हैं जी कुछ वक्त बाद उन्हें लगा कि यह सिस्टम इतना ढीठ हो चुका है कि शायद बिना उनके राजनीति में उतरे यह कभी सुधरेगा नहीं
कभी राजनीति में ना जाने की कसमें खाने वाले केजरीवाल जी ने आम आदमी पार्टी बना ली लोगों ने कहा कोई बात नहीं तुम अपने स्टैंड को बदल लिए तो क्या हुआ अगर राजनीति बदल दो तो और क्या चाहिए हैं पहले ही इलेक्शन में केजरीवाल जी की पार्टी को अच्छी खासी सीटें मिल गई मगर इतनी भी नहीं मिली कि अपने बूते सरकार बना ले उन्होंने कसम खाई कि मैं बीजेपी और कांग्रेस किसी के साथ नहीं जाऊंगा मगर मोहब्बत में खाई गई कसमों की तरह उनकी कसमें भी कच्ची निकली जि कांग्रेस के करप्शन का विरोध करके वो पॉलिटिक्स में आए थे उसी कांग्रेस के कंधे पर सवार होकर वो सत्ता की दहलीज तक पहुंच गए लोगों को लगा कि भारतीय पॉलिटिक्स को उसका मसीहा मिल गया है अब देश की राजनीति डाबर लाल दंतमंजन के विज्ञापन वाले राजू के दांतों से भी ज्यादा चमक जाएगी मगर उसी आम आदमी पार्टी की हालत देखकर आज लगता है कि उसने दांतों पर मंजन लगाना छोड़कर तंबाकू खाना शुरू कर दिया है
जेल का सपना देखने वाले
तो हम बात कर रहे थे कि कैसे आम आदमी पार्टी 2013 से 2024 आते-आते अपने रास्ते से भटक गई 2024 आते-आते ईमानदारी के नाम पर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी सरकार के एक के बाद एक मंत्री जेल जाने लगते हैं इल्जाम लगता है कि केजरीवाल सरकार ने 2022 में ऐसी शराब नीति बनाई जिससे दिल्ली सरकार को हजारों करोड़ का घाटा हुआ दिल्ली सरकार की पुरानी शराब नीति को बदलकर ऐसी पॉलिसी बनाई गई जिससे शराब माफिया वालों को ना भैया 138 करोड़ की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई
जिसके बदले पार्टी ने उनसे ₹1 करोड़ ले लिए इसी कांड में 26 फरवरी 2023 को सबसे पहले दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया जाता है उन पर नई शराब पॉलिसी को ड्राफ्ट करने और सबूत मिटाने का आरोप लगता है अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह एक साल से जेल में है अक्टूबर 2023 को ईडी ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी गिरफ्तार किया संजय सिंह एक कारोबारी अरोड़ा की मनीष सिसोदिया से मुलाकात करवाते हैं और बाद में वही कारोबारी सोनम गुप्ता से भी ज्यादा बेवफा निकलकर सरकार का गवाह बनकर संजय सिंह के खिलाफ ही गवाही दे देता है
संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद लग रहा था कि अब केजरीवाल जी की डोली भी कभी भी उठ सकती है इसी बीच ईडी वालों ने उन्हें नौ बार संबंध दिए उन्हें बुलावा भेजा कि केजरीवाल जी कभी तो आओ हवेली पर मगर केजरीवाल जी होशियार थे वो जान गए थे कि ये लोग हवेली पर बुलाकर सीधे हवालात ले जाएंगे ईडी एक के बाद एक समन केजरीवाल जी को भेजती रही और केजरीवाल जी बेदर्द हसीना की तरह ईडी के हर नोटिस को इनबॉक्स में आए उस छपरी लौंडे के हेलो हाय मैसेज की तरह इग्नोर करते रहे ईडी की टीम ने आज से पाच महीने पहले केजरीवाल जी को पहला सामान भेजा था पर ठाकुर साहब नहीं आए फिर 21 नवंबर को दूसरा सामान आया उन्होंने ईडी को फिर घास नहीं डाली फिर 3 जनवरी को तीसरा सामान आया तो केजरीवाल जी ने नखरेबाज दिलरूबा की तरह कहा कि अरे बाबा इतनी बार ना कह दिया ना अब मेरा पीछा बंद करो उन्होंने लगभग मना कर दिया
इसके बाद जनवरी से लेकर 17 मार्च ईडी ने केजरीवाल जी को छह सामान भेजे मगर शहंशाह आजम टच से मस नहीं हुए अब जो लोग लगातार इस बात पर छाती कूटते हैं कि ईडी तो सरकार के इशारे पर काम करती है वो तो फलाने के साथ जाती कर रही है उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि कानून कहता है कि अगर ईडी की तरफ से तीन बार नोटिस मिलने के बाद भी अगर कोई शख्स पेश नहीं होता तो ईडी उसके खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट इशू कर सकती है मगर केजरीवाल जी के केस में ईडी ने ऐसा नहीं किया इसके बाद उन्हें छह नोटिस भेजे गए और वो तब भी नहीं आए इसके बाद जब हाई कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया तब कहीं जाकर ईडी को उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा
हैरानी यह है कि जब ईडी की टीम पूछताछ करने केजरीवाल जी के घर पहुंची तो वहां मिले डॉक्यूमेंट देखकर अधिकारी दंग रह गए उन डॉक्यूमेंट में ऐसा लग रहा था कि केजरीवाल जी के केस के जांच कर रहे कुछ अधिकारियों की लिस्ट उनके पास थी और उससे जुड़ी एक-एक जानकारी भी उन्हें पता थी जो लोग सरकार पर इल्जाम लगाते हैं कि वो तो दिल्ली सरकार के मंत्रियों को फंसा रही है वो इस बात का क्या जवाब देंगे कि हो सकता है सरकार साजिश कर रही हो ईडी के अधिकारी झूठ बोल रहे हैं मगर क्या वजह है कि एक साल में इतनी बार हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने के बावजूद मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जी जमानत नहीं मिल रही है
आपको बता दें केजरीवाल जी के खिलाफ ईडी ने जो आरोप लगाए हैं वो कोई मामूली आरोप नहीं है यह आरोप इशारा करते हैं कि कहीं ना कहीं पूरा शराब घोटाला इन्हीं की जानकारी में हुआ है केजरीवाल जी पर लगे सारे आरोपों के बारे में विस्तार से बताते हैं मनी सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के वक्त ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में 338 करोड़ की मनी ट्रेल कोर्ट में रखी थी ये वो पैसा था जो शराब माफिया के जरिए आम आदमी पार्टी को मिला था उस वक्त अदालत ने भी उस मनी ट्रेल को ठीक माना था ईडी का कहना था कि केजरीवाल जी आम आदमी पार्टी के संरक्षक हैं
इसलिए उनसे तो पूछताछ करनी ही पड़ेगी दूसरा इल्जाम उन पर यह था कि शराब नीति बदलने को लेकर जो मीटिंग हुई वो केजरीवाल जी के घर पर हुई थी इस पर पूरे मामले में एक आरोपी समीर महेंद्रु ने इन्वेस्टिगेशन में पुलिस को बताया था कि विजय नायर नाम के एक आदमी ने फेस टाइम ऐप पर केजरीवाल जी से उनकी बात कराई थी उस बातचीत में केजरीवाल जी ने कहा था कि विजय नायर अपना आदमी है आप उस पर भरोसा कर सकते हैं केजरीवाल पर चौथा आरोप यह था कि सिसोदिया के एक सेक्रेटरी ने ईडी को बताया कि आपकारी नीति में 6 पर के मार्जिन प्रॉफिट था जिससे केजरीवाल जी ने बढ़ाकर 12 पर किया था इससे ये भी प्रूफ होता है
कि आपकारी नीति बनाने में केजरीवाल जी का बड़ा रोल था ईडी ने अदालत में कहा कि नीति में बदलाव करके शराफ माफिया को फायदा पहुंचाने के बदले केजरीवाल जी को ₹ करोड़ दिए गए इसमें से हवाला के जरिए 445 करोड़ गोवा भेजे गए विजय नायर नाम के आदमी ने केजरीवाल जी की तरह कई काम किए विजय नायर ही वो मिडल मैन है जो साउथ इंडिया के कई शराब कारोबारियों के जरिए डील करता था अब केजरीवाल पर लगाए ईडी के ये आरोपों में कितना दम है ये तो अदालत ही डिसाइड करेेगी लेकिन ये देखकर बड़ा बुरा लगता है कि एक पक्ष बिना कुछ जाने समझे सारे आरोपों को साजिश बता रहा है
जैसा मैंने पहले कहा कि साजिश एक पॉलिटिकल पार्टी रच सकती है हो सकता है वो पॉलिटिकल पार्टी जांच एजेंसियों को भी इन्फ्लुएंस करे मगर जिन ऊपरी अदालतों ने एक साल से मनीष सिसोदिया को और छ महीने से संजय सिंह को जमानत नहीं दी है क्या वो भी पॉलिटिक्स करती हैं अब ऐसा कैसे हो सकता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में कुछ फैसला सुनाए तो देश की न्यायपालिका बड़ी पवित्र हो जाती है और जहां आपके मनपसंद आदमी के फेवर में फैसला ना आए तो सब कुछ बर्बाद हो जाता है बताइए
कौन नहीं जानता गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी से भी घंटों तक सीबीआई ने पूछताछ की उस वक्त के गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह को तीन महीने जेल में भी बिताने पड़े थे अब जब यह लोग जांच एजेंसियों की जांच का सामना कर सकते हैं उनसे बेदाग निकल भी सकते हैं तो बाकी लोग क्यों नहीं निकल सकते भैया जब से यह मामला तूल पकड़ रहा है कुछ लोग मोदी जी का वो बयान सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं जब सीबीआई और एसआईटी ने उनसे घंटों पूछताछ की और उसके बावजूद उन्होंने देश के संविधान को सबसे ऊपर बताते हुए उस पूछताछ का सम्मान किया था
हैरानी यह देखकर भी होती है कि जो कांग्रेस पार्टी साल भर पहले तक इस शराब घोटाले में केजरीवाल जी और आम आदमी पार्टी को दोषी बता रही थी वही आज केजरीवाल की गिरफ्तारी को लोकतंत्र की हत्या बता रही है अब या तो केजरीवाल जी साल भर पहले ईमानदार थे और कांग्रेस झूठ बोल रही थी या आज कांग्रेस ने अपनी गलती मान ली है सुनिए साल भर पहले कांग्रेस के नेता माकन ने इस मामले पर क्या कहा था शराब का घोटाला क्या है शराब का लिकर स्कैम क्या है लिकर स्कैम सीधे-सीधे अब यह एस्टेब्लिश हो गया है कि कम से कम 100 करोड़ की रिश्वत ली गई कम से कम 100 करोड़ की रिश्वत मजे की बात यह है कि खुद दिल्ली कांग्रेस और इसके सीनियर नेताओं ने केजरीवाल सरकार की शराब नीति को भ्रष्ट बताते हुए दिल्ली पुलिस से इसकी शिकायत की थी
और हैरानी ये है कि शिकायत के लेटर वाला वो ट्वीट आज भी कांग्रेस पार्टी के कि इस नेता ने करप्शन किया और वो नेता बेदा है लेकिन यह देखकर वाकई बड़ा दुख होता है कि जो पार्टी और जिसके नेता इस देश में नई तरह की पॉलिटिक्स करने आए थे जो नेता देश की राजनीति से भ्रष्टाचार मिटाने आए थे वो खुद आज भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जा रहे हैं यह देखना सच में बड़ा तकलीफ देह है कि जो पार्टी और विचार देश में ईमानदारी की राजनीति करने आया था वो इतने कम वक्त में अपनी पहचान कैसे खोने लगा कभी दिल्ली सरकार पर जल बोर्ड में स्कैम का इल्जाम लगता है कभी मोहल्ला क्लिनिक में फर्जी मरीजों के इलाज के नाम पर घोटाले का आरोप लगता है
जो पार्टी सादगी के नाम पर राजनीति में आई थी उसके आते ही दिल्ली सरकार के विज्ञापनों का बजट 4000 गुना बढ़ जाता है वो इतने करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च कर देती है वो 500 नए स्कूल खोलने का वादा करती है मगर 50 भी नहीं खोल पाती वो सरकारी स्कूलों की कायाकल्प का दावा करती है मगर उसके 1000 सरकारी स्कूलों में से 800 स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली रह जाते हैं वो जब पंजाब में सत्ता में नहीं होती तो पंजाब सरकार पर पराली का धुआ ना रोक पाने का इल्जाम लगाती है मगर सत्ता में आने के बाद वो इस पर खामोश हो जाती है
वो स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने का दावा करती है मगर वो सरकारी अस्पतालों में सिर्फ छह नई सिटीज मशीनें लगवा पाती है और इसके लिए उसे हाई कोर्ट से भी डांट खानी पड़ती है दोस्तों ये कुछ आंकड़े हैं जो इस नई तरह की पॉलिटिक्स को लेकर लोगों को मायूस करते हैं बाकी शराब घोटाले में कौन दोषी है कौन नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा मगर फिलहाल जो तस्वीर सबके सामने है वो ज्यादा उम्मीद नहीं जगाती बाकी आपकी इस मामले पर क्या राय है कमेंट करके बताना
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